शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बागी विधायकों पर निशाना साधा है. (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी सियासी घमासान के बीच उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार अस्थिर हो गई है. इसके बावजूद शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) का दावा है कि पार्टी अभी भी मजबूती के साथ खड़ी है. राउत का दावा है कि विद्रोही विधायकों की पार्टी के दिवंगत संस्थापक बालासाबेह ठाकरे के प्रति सच्ची आस्था नहीं थी, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया है. उन्होंने दावा किया कि करीब 20 विधायक उनके संपर्क में हैं, जब वो मुंबई आएंगे तो सभी को पता चल जाएगा. इसी बीच तीन और विधायक मुंबई छोड़कर एकनाथ शिंदे के पास चले गये हैं. इसी के साथ शिंदे खेमे में शिवसेना के 55 में से 40 विधायक हैं.
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शिंदे के पास शिवसेना के अधिक विधायक होने के बाद अब शिंदे यह दावा कर सकते हैं कि असली शिवसेवा वही हैं. क्योंकि उसके पास दलबदल विरोधी कानून के तहत आवश्यक 2/3 ताकत है. वहीं बागी विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर एकनाथ शिंदे को अपना नेता घोषित किया है. इस खेमे के समर्थन से, भाजपा एक बार फिर राज्य में सत्ता में वापस आ सकती है. हालींकि बाजेपी अभी तक इस मामले में खुलकर कुछ बोल नहीं रही है और शिवसेना के अंदर चल रहे संकट से पल्ला झाड़ रही है. वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी ने बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में नामित करने का सुझाव दिया है.
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संजय राउत ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार के तहत प्रवर्तन निदेशालय का शिवसेना विधायकों पर दबाव बनाने के लिए दुरुपयोग किया गया है. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पिता के प्रति निष्ठा का वचन देते हुए कहा, “जो ईडी के दबाव में पार्टी छोड़ता है, उसकी बालासाहेब के प्रति सच्चे निष्ठा नहीं है. राउत ने आगे कहा, “यहां तक कि हम पर भी ईडी का दबाव है लेकिन हम उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहेंगे. जब फ्लोर टेस्ट होगा तो सभी देखेंगे कि कौन सकारात्मक है और कौन नकारात्मक है.”
“महाराष्ट्र संकट : विधायक क्यों गए, इसका खुलासा जल्द’ – बोले संजय राउत